जम्मू जल रहा है और केंद्र सरकार खामोश बैठकर तमाशा देख रही है। आखिर केंद्र कब तक जम्मू में भड़की आग को यूं ही नजरअंदाज करता रहेगा। अब तक के हालात से यह नहीं लगता है कि बिना केंद्र के हस्तक्षेप के जम्मू में आग बुझ पाएगी।
जम्मू में भड़की आग को सिर्फ श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की जमीन के लिए जम्मूवासियों की जंग समझना भूल है। दरअसल यह जन आंदोलन कश्मीरी नेताओं की कश्मीर केंद्रित, अलगाववादी व सांप्रदायिक सोच के खिलाफ जम्मू संभाग के उन सभी राष्ट्रवादियों का आक्रोश है, जो श्राइन बोर्ड की जमीन के बहाने फूट पड़ा है।
श्री अमरनाथ जमीन मुद्दे पर जम्मू संभाग में फैली आग को बुझाने के लिए अगर शीघ्र ही कुछ कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड से भूमि वापस लिए जाने के बाद जम्मू संभाग में शुरू हुए आंदोलन का दबाने के लिए प्रशासन और पुलिस ने कुछ ऐसे कदम उठाए, जिससे लोगों की भावनाएं काफी आहत हुई हैं। प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई ने आग में घी का काम किया, जिससे आंदोलन उग्र होता जा रहा है।
जमीन वापस लिए जाने के मुद्दे पर जम्मू की जनता को भी अपने आक्रोश का प्रदर्शन करते समय संयम का परिचय देने के साथ यह सुनिश्चित करना होगा कि आंदोलन शांतिपूर्ण बना रहे।
Tuesday, July 29, 2008
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