Saturday, July 5, 2008

करार पर सियासत

भारत-अमेरिका परमाणु करार पर इन दिनों तकरार चरम पर है। वामदल जहां सरकार से तलाक लेने पर अड़ें हैं। वहीं, मौके की नजाकत को समझ कर समाजवादी पार्टी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर परमाणु डील पर सरकार को बचाने के संकेत दे दिए। इस बीच, तीसरे मोर्चे को सपा प्रमुख मुलायम सिंह का यह रुख रास नहींआया है। कहा जाता है कि मुलायम को तीसरे मोर्चे से बाहर कर दिया गया है।
सपा महासचिन अमर सिंह जो कल तक सोनिया गांधी कहते थे। अब वो भी सोनिया जी कह रहे हैं। कुल मिलाकर इस समय सपा ही सरकार की खेवनहार बनी हुई है।अब यदि वामदल सरकार से तलाक लेते हैं तो सरकार अल्पमत में रह जाएगी। फिर अल्पमत सरकार की अंतरारष्ट्रीय जगत में क्या साख होगी। यह तो समय ही बताएगा। हो सकता है कि सपा का समर्थन केवल लोकसभा चुनाव को फिलहाल टालने के लिए ही हो। जब से उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने सरकार से समर्थन वापस लिया है, तभी से सपा की सरकार से नजदीकी बढ़ी है। पहले तो सपा व कांग्रेस में काफी अनबन थी।
बसपा चूंकि कांग्रेस व सपा दोनों की आंखों की किरकिरी बनी हुई है। ऐसे में ये दोनों पार्टी मिलकर यूपी की सत्ता हथियाना की भी ताक में हो सकती हैं। इसके अलावा अभी कांग्रेस व सपा इस गफलत में भी हैं कि हो सकता है कि परमाणु मुद्दा चुनावी मुद्दा बन जाए। चुनाव में इसका लाभ उठाया जा सके, पर यह तो समय ही बताएगा कि इससे किसकों कितना लाभ मिलेगा। अभी यह भी नहीं कहा जा सकता है कि करार अंजाम तक पहुंच भी पाएगा या नहीं। फिर भी करार सियासी दलों ने खूब हो-हल्ला मचा रखा है। वामदल तो काफी समय से सरकार से तलाक लेने की तैयारी में हैं। लेकिन क्या वो वाकई में सरकार से तलाक लेंगे। यह भी नहीं कहा जा सकता है।

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