देश की राजनीति ऐसी मंडी में तबदील हो गई है, जहां हर चीज की नीलामी हो रही है। सांसदों की जहां 25 से 30 करोड़ रुपये में नीलामी हो रही है, वहीं मंत्रिपद की भी बोलियां लगाई जा रही हैं। सरकार को बचाने के लिए अपराधी सांसद जेल से बाहर निकाले जा रहे हैं। ये कैसा 'जनतंत्र' है। क्या यहीं सब देखने के लिए देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराया गया था?
जब सरकार को बचाने के लिए इस तरह की सौदेबाजी हो सकती है तो हो सकता है कि कल देश का ही सौदा कर दिया जाए। जब देश का प्रधानमंत्री सरकार को बचाने के लिए कोई भी ओछे हथकंडे अपना सकता है, तो दूसरों के बारे में क्या कहा जाए। जब हर चीज की बोली ही लग रही है तो अगर सरकार बच भी जाती है तो कोई बड़ी बात नहींहै। लेकिन संसद में यदि सरकार अपराधी सांसदों के बल पर बहुमत साबित भी कर लेती है तो क्या आम आदमी को न्याय मिल सकेगा।
परमाणु करार देश के हित में है या नहींये तो बाद की बात है। लेकिन जिस देश का प्रधानमंत्री ही सरकार को बचाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा बैठा हो तो उसको अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
2 comments:
very good
बहुत-बहुत धन्यवाद
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