Saturday, September 27, 2008

क्योंकि तू बेकसूर है

दिल्ली इतनी महफूज न होती
तो फिर क्यों दहलती
आतंकी पहले ई-मेल करते हैं
फिर फोन करते हैं
मगर वो नहीं जागते हैं
तब विस्फोट करते हैं
बेकसूर निशाना बनते हैं
फिर अफरा-तफरी मचती है
तब उनकी नींद खुलती है
और चौकसी बढ़ती है
फिर बयानबाजी शुरू होती है
कोई कहता है निंदनीय है
कोई कहता है अफसोसजनक है
कोई कहता है दुखद है
मगर वो क्या करें, जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को खो दिया है
जिन बेकसूर लोगों का लहू बहा है
जब राष्ट्रीय राजधानी इतनी महफूज है
तो अवाम कितनी महफूज है यह बताने की जरूरत भी नहीं है
करार जरूरी है
अमन की जरूरत नहीं हैं
तेरा भी तो कसूर है
क्योंकि तू बेकसूर है
इसीलिए तेरा लहू बहता है
फिर भी इन्हें नहीं दिखता है.

13 comments:

दिवाकर प्रताप सिंह said...

ये सब तो अभी और होगा क्योंकि सरकार, मानावधिकार संगटन, धर्मनिरपेक्ष लोग सभी इन आतंकवादियों के साथ है एक आतंकवादी मरना इन लोगों को सुहाता नहीं चाहे कितने ही लोग मर जाए..

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

sachinji,
aatankvad key khilaff sarkar key saath janta ko bhi aage aana hoga.

Ashok Pandey said...

आपकी चिंता वाजिब है। उन पर क्‍या बीतती होगी जिन्‍होंने अपने जिगर के टुकड़े को खोया है..

Anil Pusadkar said...

आपसे सौ प्रतिशत सहमत हूं।सटीक लिखा आपने

राज भाटिय़ा said...

मुझे समझ मे नही आता क्या हमारी सरकार अंधी हे ,क्या इसे यह सब नही दिखता, वेसे तो इतनी गिरी हुयी सरकार पहली बार देखी हे जो जिस जनता से बनी उसे ही उजडने, मारने पर तुली हे, अगर यह जनता की रक्षा नही कर सकती तो दफ़ा हो जाये,

राजीव उत्तराखंडी said...

वाह सचिन जी, आप कविताएं भी लिखते हैं। आज मालूम हुआ। भटकते-भटकते पहुंचा आपके बलाग पर । पढ़ा मजा आ गया। लगे रहिए। शुभकामनाएं।

Anonymous said...

आपकी चिंता अवाम की चिंता है।

दीपक said...

हिलते-ड्लते सिस्टम और उंघती जनमत से ऐसा ही परिणाम निकलेगा !!

seema gupta said...

मगर वो क्या करें, जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को खो दिया है
जिन बेकसूर लोगों का लहू बहा है
"bhut shee or marmik likha hai aapne, jinka kho gya vhee umer bhr royenge......"

Regards

shelley said...

मगर वो क्या करें, जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को खो दिया है
जिन बेकसूर लोगों का लहू बहा है
जब राष्ट्रीय राजधानी इतनी महफूज है
तो अवाम कितनी महफूज है यह बताने की जरूरत भी नहीं है
bahut achchha. baat v kah di or chinta v jta diya. vyangy v kiya sabkuch ek sath.........

onair said...
This comment has been removed by the author.
SUN RISE said...

सचिन जी आप मेरे ब्लाग पर आए टिप्पणी की धन्यवाद...लेकिन मैंने जो कुछ भी लिखा वो लिखने की कुछ वजह रही थी...आपकी बेहद सतही टिप्पणी ने मुझे आहत किया....मैंने लोगों को कुछ और तथ्य बताने के लिए पोस्ट लिखी थी...आपकी तरह भावनात्मक कविता लिखकर लोगों का दिल बहलाने की कोशिश नहीं करता...माफी चाहूंगा...पत्रकार तो मैं भी हूं...लेकिन आपकी तरह भावनात्मक होकर काम नहीं करता...कुछ गंभीर बात को तो जरूर कहियेगा..
हां आपकी कविता के शिल्प और भाव पर कभी और बात करेंगे..आखिर आप किस स्तर के कवि हैं और कैसी कविता करते हैं इसपर मेरा कमेंट उधार रहा....कभी और

SUN RISE said...

आपने शायद मेरे ब्लाग पर और पोस्ट नहीं पढ़ी है...मैने गोपाल भार्गव के बारे में जो कुछ भी लिखा हैं वो आपके पोस्ट से आगे की ख़बर है...और हैं आपकी पोस्ट सिर्फ दो लाईन की ख़बर बताती है और मेरी पोस्ट ज्यादा डिटेल में बताती है...अंतर आप खुद देख सकते हैं...मैं नहीं जानता की आपने मेरी पोस्ट के बारे में इतनी सतही टिप्पणी क्यों की लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगा की कम से कम आप अपनी और मेरी पोस्ट को ध्यान से तो पढ़ सकते थे...मैंने जिस घटना का जिक्र किया है तो कुछ और घटना है...बाद में बतौर उदहरण पहली घटना का भी जिक्र किया है...जहां तक मुझे मालूम हैं मैं गोपाल भार्गव के बारे में आपसे ज्यादा जानकारी रखता हूं...मंत्री के इससे पहले के कारनामों के बारे में शायद आपको नहीं मालूम हो..
और हां आपने लिखा हैं की मैने मत पाने के लिए ये सब किया तो ये टिप्पणी आपकी मनोदशा और आपके कर्म के बारे में बताती है...आप शायद मत के लिए लिखते होंगे...मैंने हमेशा ख़बरों से दूसरे पहलू की ओर लोगों का ध्यान दिलाने के लिए पोस्ट लिखी है...यकीन न हो तो आप मेरी पुरानी पोस्ट देख सकते हैं...कम से कम मैं इतना तो कह ही सकता हूं की भावना के तूफान में बहने औऱ कविता लिखने के बजाए मैने कुछ गंभीर विषयों को अपने समर्थ के हिसाब से छूने की कोशिश की है...
आपके बारे में मुझे कुछ और नहीं कहना है