रूठ गया था उनका यार
हो गए थे मानसिक रूप से बीमार
फिर भी हिम्मत नहीं हारी
भारी मतों से जीत गए जरदारी
ज्यादा खुशी भी ठीक नहीं
आगे की राह आसान नहीं.
Saturday, September 6, 2008
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स्वार्थ की राजनीति या गिरगिट की तरह रंग बदलते राजनेताओं का
2 comments:
सही कहा-कठिन डगर है.
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निवेदन
आप लिखते हैं, अपने ब्लॉग पर छापते हैं. आप चाहते हैं लोग आपको पढ़ें और आपको बतायें कि उनकी प्रतिक्रिया क्या है.
ऐसा ही सब चाहते हैं.
कृप्या दूसरों को पढ़ने और टिप्पणी कर अपनी प्रतिक्रिया देने में संकोच न करें.
हिन्दी चिट्ठाकारी को सुदृण बनाने एवं उसके प्रसार-प्रचार के लिए यह कदम अति महत्वपूर्ण है, इसमें अपना भरसक योगदान करें.
-समीर लाल
-उड़न तश्तरी
बहुत सुंदर!
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