Monday, September 8, 2008

क्या माफी मांगे जया?

भारतीय संविधान में किसी भी नागरिक को देश में कहीं भी रहने, काम करने, बोलने का अधिकार प्राप्त है। फिर अगर जया बच्चन ने रविवार को द्रोण के प्रोमो के दौरान यह कह दिया कि हम हिंदी के लोग हैं और हिंदी में ही बात करने चाहते हैं। तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा।

हालांकि इस बात की शुरुआत प्रियंका चोपड़ा ने की थी। कहा था कि उन्हें हिंदी में बात करना पसंद है। इस पर जया ने उनका समर्थन कर दिया। इसके बाद जया ने यह भी कह दिया कि मराठी लोग उन्हें माफ करें।

इसके बावजूद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे का कहना है कि मनसे उस समय तक बच्चन परिवार की फिल्मों के प्रदर्शन की अनुमति नहीं देगा, जब तक जया अपनी कथित मराठी विरोधी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांग लेती। क्या राज की हिटलरशाही जायज है? क्या जया को सचमुच माफी मांग लेनी चाहिए?

7 comments:

Satyendra Prasad Srivastava said...

सवाल हिंदी का नहीं है। जया ने हिंदी की हिमायत नहीं की बल्कि हिंदी के बहाने कहीं और निशाना साधा। राज ठाकरे और उनके समर्थक पहले से ही गुंडागर्दी मचाए हुए हैं और इस तरह का उकसाऊ बयान उन्हें गुंडागर्दी मचाने की और शह दे देता है। अगर हंगामा हुआ तो भुगतेगी गरीब जनता, जया तो कड़ी सुरक्षा में ही रहेगी। अहमियत बयान का नहीं, संदर्भ का है।

राजेश अग्रवाल said...

जया बच्चन का यह कहना कि मराठी लोग माफ करें, आशय क्या है? शायद उन्हें भी हमारी तरह राज ठाकरे के तौर तरीकों से आपत्ति है पर इस बहाने मैं मराठी-हिन्दी का झगड़ा खड़ा करने का मौका तो नहीं दिया जाना चाहिए. हम यूपी से हैं, हिन्दी बोलेंगे, मराठी बोलने वाले माफ करें...नासमझी भरा बयान है. शायद राज के मराठी वाद के मुद्दे को सुलगाये रखने में उन लोगों को भी भलाई दिख रही है जो उनके खिलाफ होने का दावा करते हैं. हमें यह नहीं भूलना चाहिये समाजवादी पार्टी का इस मामले में क्या नज़रिया है और जया जी, अमित जी के क्या रिश्ते अमर सिंह के साथ है.

श्रीकांत पाराशर said...

Sachinji, main Sateyndraji ke vicharon se sabdsha sahmat hun. Baat yah nahi hai ki jayaji ko mafi mangni chahiye, bilkul nahin. Parantu kya vastav men unhonne hindi prem ki vajah se yah vaktavy diya? nahin, unhonne kahin aur nishana sadha. unke uksane se hindi bhashi samaj par jo gujaregi uske liye kaun jimmedar hoga? ye to ve log hain jo hindi pradhan programme men bhi english men baat karte hain. Ab raj thakre ki baat. Samajh men nahin aata ki federal system ke bavjud kya unki dadagiri nahin roki ja sakti.

राज भाटिय़ा said...

मे भी सतेन्दर जी की बात से सहमत हु,ओर राजेश जी ने भी काफ़ी सही बात कही हे, ओर हमे अपनी निजी बातो के लिये नादान ओर बेकसुर लोगो को मरने के लिये आगे नही करना चाहिये,ओर हम यूपी से हैं, हिन्दी बोलेंगे, मराठी बोलने वाले माफ करें...नासमझी भरा बयान है.
धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया said...

सिर्फ़ दुर्भाग्यपूर्ण !
आपका सोच अच्छा है !
शुभकामनाएं !

Anil Pusadkar said...

sachin ji sahi sawal haiuthaya aapne.aaj iska jawab dhundhane ki jarurat.badhai aapko bebak post ki

डॉ .अनुराग said...

बिल्कुल मांगनी चाहिए एक हिन्दुस्तानी होने के नाते जो अपने ही देश के हिस्से में रहकर अपनी जबान में नही बोल सकता ......