Saturday, September 20, 2008

कुछ तो शर्म करो

दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा डेंगू के शिकार अपने बेटे के लिए तो खून नहीं दे पाए, मगर देश के लिए अपनी जान दे दी। मगर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन [संप्रग] अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस शहीद (मोहन चंद शर्मा) को श्रद्धांजलि देने तक के लिए समय नहीं मिला।
अगर शनिवार को निगमबोध घाट पर सोनिया पहुंची होती तो देश में यह संदेश जाता कि मौजूदा सरकार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को गंभीरता से ले रही है। मगर इन्होंने मौके पर जाना उचित नहीं समझा।

ऐसा नहीं है कि सोनिया चाहती तो क्या समय नहीं निकाल सकती थीं। मगर ये तो नेता हैं इसीलिए दूर की सोचते हैं! इन्होंने सोचा कि आगामी चुनाव में कहीं मुस्लिम वोट कम न हो जाए! इसीलिए इन्होंने शर्मा को श्रद्धांजलि देनी उचित नहीं समझी !!

गौरतलब है कि शर्मा उन आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी को बम धमाकों से दहला दिया था। क्या शर्मा की मौत इतने सम्मान की भी हकदार नहीं कि देश के राजनीतिक और प्रशासनिक प्रमुख मौके पर पहुंच कर श्रद्धांजलि दें?

आखिर सोनिया क्यों नहीं पहुंची निगमबोध घाट पर? सरकार का यह रवैया आतंकियों के लिए हौसलाअफजाई ही तो है, इससे तो आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा। इसका जिम्मेदार कौन है?
सरकार के इस रवैये के बाद क्या फिर कोई बेटे को देने की बजाए देश के लिए अपना लहू बहाएगा? अब उनके दिल पर क्या गुजरती होगी, जिन्होंने अपना बाप खोया है।


उस बाप पर क्या गुजरती होगी, जिसने अपने बेटे को मुखाग्नि दी। उस पत्‍‌नी का रो-रोकर क्या हाल हुआ होगा, जिसने अपना सुहाग को दिया। मगर इन नेताओं को क्या कहें, इन्हें तो शर्म आती नहीं।

7 comments:

Gyan Darpan said...

बस आए थे तो टिप्पणी कर ही दी है , वेसे आपने मुद्धा सही उठाया है किसी मंत्री को तो आना ही चाहिए था लेकिन नही आए तो भी ठीक कम से कम एक शहीद की पार्थिव देह तो नेताओं के गंदे हाथ लगने से बच गई

जितेन्द़ भगत said...

सम्‍मान का हक तो बनता ही था, सि‍र्फ दि‍खाने में कसर रह गई।

दीपक said...

इनसे ऐसी दरकार मत रखो मित्र ये ऐसे ही है !!

Anil Pusadkar said...

bahut sahi likha aapne.yahi to dikkat hai is desh me,asli nayakon ko jitna samman milna chahiye utna nahi milta aur jin netaon ko nahi milna chahiye unhe milta hai.sateek likha aapne aur yad taza kardi purane dino ki. mai jab bhaskar me kam karta tha tab kargil me shaheed hue ek jawaan ka shav ko jashpur le jaane ke liye raipur airport par intezar karte khade the,mujhe pata chala to maine waha pahunch kar vyawastha karwai thi.tab shaheed jawaan ke bade bhai ne mujhse kaha tha aise me kaun shaheed hona chahega?us se thodi baat kar maine uska interview aise me kaun shaheed hona chahega,ke shirshak se prakishit kiya tha,aaj wo sara wakya aapne fir yaad dila diya.

Udan Tashtari said...

नालायक पूरी कौम है इन नेताओं की.

सौरभ कुदेशिया said...

waise accha hi hai ki nahi aaye..aate to kahi apni rajniti ke rotia hi na sekne lag jate..

राज भाटिय़ा said...

अच्छा हुआ यह कमीने नही आय़े वरना शहीद की आत्मा को दुख होता दोगलो के झुठे भाषाण से, ओर शहीद होने वाला इन कमीनो के लिये नही हम सब के लिये इस देश के लिये शहीद हुआ हे, ओर हम सब को उस शहीद को प्राणाम करना चाहिये.
आप ने मुद्दा तो बिलकुल सही उठाया हे.
धन्यवाद