बड़े मियां
वे दिल्ली दहलाते रहे
ये पोशाक बदलते रहे
वे दर्द से कराहते रहे
ये केश संवारते रहे
फिर भी उन्हें मिली क्लीन चिट
मिलती भी क्यों ना चुनाव में होना जो है हिट
छोटे मियां
पहले राज्य सरकारों को कोसने से थे थकते नहीं
अब कहते हैं एक अरब अवाम की सुरक्षा मुनासिब नहीं
कहते हैं हर धमाके से रहा हूं सीख
फिर भी अवाम की सुनाई नहीं देती चीख
ये सीखते रहेंगे, वे धमाके करते रहेंगे और लोग चीखते रहेंगे
फिर भी तमाशबीन बने रहेंगे सफेदपोश.
Monday, September 15, 2008
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5 comments:
यह वोट की नीती हम बदल क्यो नही देते, अरे हम ८० % हे फ़िर भी ..... बस वोट वोट चीखते हे... आओ चलो सब वोट डालो फ़िर देखो केसे यह भिखारी हमारे कदमो पर माथा रगडते हे,आप अपने साथ जितने लोग तेयार कर सकते हे करे वोट डालने के लिये फ़िर केसे यह बम फ़ोडेगे? फ़िर वोटो के लिये किस के पीछे भागे गे???
' very well said, nice artical"
Regards
sahi likha....
@ये सीखते रहेंगे, वे धमाके करते रहेंगे और लोग चीखते रहेंगे, फिर भी तमाशबीन बने रहेंगे सफेदपोश.
बाहर से सफेदपोश अन्दर से भयंकर काले हैं. जब तक इन धमाकों में इन सफेदपोशों में से कोई नहीं मरेगा तब तक इन्हें चीखें सुनाई नहीं देंगी.
बहुत सटीक चुटकी और पैना व्यंग बधाई
थोडा समय निकालें मेरे ब्लॉग पर पुन: पधारें
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