बिहार में बाढ़ हुई और बिकराल
भूख से बिलख रहे हैं उनके लाल
कई दिन से नहीं मिला निवाला
बाढ़ ही खा गई उनका रखवाला
किसकी छाती से चिपक रात बिताएं
और किसे अपना दुख-दर्द सुनाएं
सिर्फ इंसान ही नहीं फंसे हैं भाई
जानवरों की जान पर भी बन आई
उनके संकट में भी इन्हें दिखे वोट
तभी तो बंटे पांच-पांच सौ के नोट.
Sunday, August 31, 2008
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6 comments:
बहुत ही मार्मिक रचना है
बहुत ही दुखद स्थिति है मगर रचना बहुत सटीक है - बधाई!
badh ka jeevant chitran kiya hai aapne sath hi rahat ki raajneeti ki bhi achhi khabar li hai
Sachiji, sach likha hai aapne.
उनके संकट में भी इन्हें दिखे वोट
तभी तो बंटे पांच-पांच सौ के नोट.
बहुत मार्मिक शब्द हैं भाई ! दुःख:द स्थिति
का बढिया चित्रण !
बिहार में बाढ़ हुई और बिकराल
भूख से बिलख रहे हैं उनके लाल
कई दिन से नहीं मिला निवाला
बाढ़ ही खा गई उनका रखवाला
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
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