ये जो कुर्सी न होती तो कुछ भी न होता
न तो कोई समर्थन देता और न ही वापस लेता
न खरीदे जाते सांसद, न शर्मसार होती संसद
न सीएम बनने के लिए गुरुजी चलाते 'कोड़ा'
और न ही संकट में होते कोड़ा.
स्वार्थ की राजनीति या गिरगिट की तरह रंग बदलते राजनेताओं का
ये जो कुर्सी न होती तो कुछ भी न होता
न तो कोई समर्थन देता और न ही वापस लेता
न खरीदे जाते सांसद, न शर्मसार होती संसद
न सीएम बनने के लिए गुरुजी चलाते 'कोड़ा'
और न ही संकट में होते कोड़ा.
6 comments:
Kurshi jaroori hai paji. Kurshi hi nahi rahegi to aap jaise achhe log kahan baithenge?
सही कहा है कि
कोड़े पर हर दिन बरस रहे हैं कोड़े,
कुर्सी के कारण गुरुजी ने अटकाए हैं रोड़े।
अच्छा लिखा है।
टिप्पणी के लिए सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद
समसामयिक घटनाओं पर इसी तरह निर्बाध लिखते रहें..रचना की बधाई स्वीकारें।
***राजीव रंजन प्रसाद
achha likha.badhai
अच्छा लिखा आपने.
बधाई
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