Tuesday, March 16, 2010
ये सब क्या है
अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, जब उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के मनगढ़ में कृपालु महराज के आश्रम में मची भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को देने के लिए सूबे की मुख्यमंत्री के पास पैसे नहींथे। तब उनका कहना था कि सूबा वित्तीय संकट से गुजर रहा है, लिहाजा भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को देने के लिए मेरे पास पैसे नहीं है।
कहां से आए पैसे
अगर पैसे नहीं थे तो बहुजन समाज पार्टी की ख्भ्वीं वर्षगांठ के मौके पर लखनऊ को मुख्यमंत्री मायावती के पोस्टरों से कैसे पाट दिया गया।
माया की महामाला
एक-एक हजार के नोटों से बनी माला पहने मायावती। दूर बैठे लोग बहुत देर तक यही कयास लगाते रहे कि आखिर ये माला किन फूलों से बनाई गई, जो इतना चमक रही है। लगता है इसी कारण इन दिनों सूबे में एक-एक हजार के नोट नहीं दिख रहे हैं।
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1 comment:
माया के पास उन दलितों के लिए पैसा नहीं है जो सचमुच में गरीब है या जो भगदड़ में मारे गए. अपने वोट बैंक दलितों के लिए तो राज्य क्या इसका बस चले तो ये देश और देशवासियों को भी बेच कर उनके नाम पर सारे पैसे खा जाए. कहते है जैसा भी बोओगे वैसा ही काटोगे. तो जैसो को लोग चुनेगे वैसा ही तमाशा देखेंगे और भुगतेंगे. ये कसूर उन सब लोगो का है जिन्होंने ऐसे गुंडे, मवाली, हत्यारों को अपना जाती भाई मान कर वोट और समर्थन दिया.
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