Friday, November 21, 2008

वादे हैं, वादों का क्या...

चुनावी मौसम में यूं तो सभी राजनीतिक दल चुनाव घोषणापत्र जारी करते हैं, और इसमें ऐसे-ऐसे वादे करते हैं जो शायद ही कभी पूरे हों। कहते हैं, हमारी सरकार आई तो ये कर देंगे..वो कर देंगे..लेकिन ये क्या कर देंगे..यह सभी जानते हैं।

क्योंकि ये सियासी दल जानते हैं कि बिना घोषणाओं के तो कुछ होगा नहीं। इसलिए घोषणाएं करने में क्या जाता है। कोई भी सियासी दल सत्ता में आने के बाद इन चुनाव घोषणापत्रों को पढ़ने की जहमत नहीं उठाता है। न ही जनता उनसे पूछने की हिम्मत जुटा पाती है कि चुनाव घोषणापत्र में तुमने जो वादे किए थे, उनका क्या हुआ।

जब तक कोई सियासी दल सत्तासीन रहता है, तब वो यह नहीं कहता कि हम ये कर देंगे..वो कर देंगे..पर जैसे ही वह सत्ताच्युत होता है तो कहने लगता है कि मेरी सरकार बनी तो ये करूंगा..वो करूंगा..

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

जब वादे पुरे ना हो तो धरने दो, उस का जीना हराम कर दो उसे बारबार उस के वादे याद दिलाओ.

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

aapney raajneeti ka asli chehra benaqab kar diya.

seema gupta said...

" very well said.."

Regards