चुनावी बिगुल बजते ही नेताओं ने वादों की झड़ी लगानी शुरू कर दी है। हम जीतने के बाद ये करेंगे..वो करेंगे..मगर ये क्या करेंगे..वो सभी जानते हैं।
इंदौर के एक विधानसभा क्षेत्र क्रमांक चार से एक भिखारी समाधान नाइक ने पर्चा दाखिल करके नेताओं को नकली और खुद को असली भिखारी बताते हुए जनता से वोट मांगा है।
नाइक का दावा है कि अगर वह विधायक बन गए तो गरीबों की हर समस्या का समाधान करेंगे, मगर भीख मांगना नहीं छोड़ेंगे। 58 वर्षीय नाइक को कुष्ठ रोग है। नाइक ट्राइसाइकिल पर घूम कर भीख मांग कर अपनी जिंदगी चला रहे हैं। उनकी इच्छा गरीबी को खत्म करने की है। उन्होंने भीख मांग-मांग कर धन इकट्ठा करके पर्चा दाखिल किया है।
नाइक का नारा है कि 'नकली भिखारी को छोड़ो और असली भिखारी को चुनो।' नाइक कहते हैं, नेता भी भिखारी हैं, वे चुनाव से पहले लोगों से नोट मांगते हैं और चुनाव में वोट। विधायक बन जाने पर वे रिश्र्वत की भीख लेने से पीछे नहीं रहते हैं। भिखारी खुलकर भीख मांगता है और वही असली भिखारी है।
नेता तो नकली भिखारी है, जब जनता को भिखारी ही चुनना है तो वह असली को चुने। नाइक ने ट्राइसाइकिल पर नारे भी लिख रखे हैं और आम लोगों से भीख के साथ वोट भी मांग रहे हैं। उन्हें इस बात का भरोसा है कि मतदाता उनकी बात सुनेंगे और वोट देने में भी पीछे नहीं रहेंगे।
नाइक ने जो कहा, क्या वह हकीकत नहीं है? फिर भी क्या कोई नाइक को गंभीरता से लेगा? चूंकि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है, अगर नाइक अपनी बात कह रहे हैं तो इसमें बुरा क्या है? अब देखिए जनता किसे जिताती है असली भिखारी या नकली भिखारी को..फिर भी ये तो भिखारी हैं..भिखारियों का क्या..
Tuesday, November 11, 2008
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7 comments:
bahut accha lekh
regards
kabhi humari post bhi padiye aur tipyiye
सटीक// असल भिखारी यही हैं.
आपने बडा साथॆक िलखा है ।
" great to read"
Regarsd
sahi hai....
भई अगर मुझे मोका मिलता तो जरुर इसी नाईक को वोट देता, जब हम ने भी भीख देनी है तो असली भिखारी को दो.
धन्यवाद
समझ नहीं आता क्या कहूं! कुष्ठरोगियों की स्थिति में सुधार तो आना ही चाहिए!
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