Sunday, October 26, 2008

कैसे मनाएं दीवाली?

भले ही वे दूसरे का पेट भरते हों, पर खुद अब भी भूखे पेट हैं। दिन-रात कड़ी मेहनत के बाद भी वे अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसे में वे अपने परिवार की दूसरी जरूरतें कैसी पूरी करते होंगे। उन पर सभी कहर ढाते हैं। कभी बेमौसमी बारिश उन्हें खून के आंसू रुलाती है। कभी सूखा तो कभी कोई और आपदा।

भले ही हरेक पार्टी का नेता उनके हितैषी होने का दावा करता हो, पर उनकी गाढ़ी कमाई यूं ही उड़ाने से गुरेज नहींकिया जाता है। किसानों को न तो उन्हें सूदखोरों के चंगुल से मुक्ति मिल रही है और न ही बैंकों से कर्ज लेने के एवज में कमीशन देने से। यहीं कारण है कि वह कर्ज के दलदल में फंस कर रह गए हैं।

उनकी जरूरतें भले ही बढ़ रही हों, पर आमदनी घट रही है। हर ओर से निराश होकर वे मौत को गले लगा रहे हैं। फिर भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।

महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में छह किसानों ने इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि कीड़े लगने के कारण कपास, सोयाबीन और धान की फसल को नुकसान पहुंचने से वे आहत थे। निजी व्यापारी भी उन्हें कपास की काफी कम कीमत दे रहे थे, उससे भी किसान हताश हैं। ऐसे में वे किस तरह दीवाली मनाते? ये किसान वर्धा, चंद्रपुर, अकोला, भंडारा, यवतमाल और अमरावती जिलों के बताए जाते हैं। इस साल अब तक यहां आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 626 हो गई है।

इन किसानों के परिजनों पर क्या गुजर रही होगी? और वे कैसे मनाएं दीवाली। फिर भी न तो राज्य सरकार इस ओर ध्यान दे रही है और न ही केंद्र सरकार। सरकार कोई ऐसे ठोस कदम क्यों नहीं उठाती, ताकि अन्नदाता आत्महत्या करने के लिए मजबूर न हों या किसान यूं ही आत्महत्या करते रहेंगे और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी?

7 comments:

Udan Tashtari said...

अफसोसजनक!!


आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/

जितेन्द़ भगत said...

यह वाकई दुख की बात है।

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही दुखद हौ इन किसानो का जीना ओरो का पेट भरते है ओर खुद बेचारे आत्महत्या करते है, कसुर हमारी सरकार का है.
दिपावली की शुभकामनाये आप ओर आप के परिवार कॊ
धन्यवाद

संगीता पुरी said...

जानकर दुख पहुंचा। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये।

ghughutibasuti said...

क्या कहा जाए !
आपको व आपके परिवार को दीपावली पर हार्दिक शुभ कामनाएं ।
घुघूती बासूती

Smart Indian said...

परम्परा से दीवाली के दिए बनाने वाले कुम्हार परिवारों का हाल भी बहुत ख़राब है. कोई वैकल्पिक साधन पाये बिना पैतृक धंधों के ख़त्म हो जाने से कितने ही गरीब भारतीयों की दीवाली प्रकाश्विहीन हो गयी है. बहुत अच्छा लेख है-बधाई. आपको दीवाली की बहुत बधाई!

हिन्दुस्तानी एकेडेमी said...

किसानों की दुखद स्थिति पर संवेदनशील पोस्ट...।
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दीपावली की शुभकामनाएं।
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