जिस तरह से हाथी के दांत दिखाने के और, और खाने के और होते हैं। ठीक उसी तरह हैं राजनेता। ये कहते कुछ हैं और करते कुछ और। राजनेताओं ने देश की क्या हालत कर दी है, यह किसी से छिपा नहीं है। चाहे वह छोटा नेता हो या बड़ा। मंत्री हो या केंद्रीय मंत्री। सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। ये जनता की खून-पसीने की कमाई उड़ाने से भी गुरेज नहीं करते हैं।
गृह मंत्री शिवराज पाटिल को ही ले लो। इन्होंने दिल्ली में महज 15 किलोमीटर जाने के लिए एमआई-17 हेलीकाप्टर का इस्तेमाल किया। इस हेलीकाप्टर के एक घंटे की उड़ान पर औसतन 2.66 लाख रुपये खर्च होते हैं। पाटिल ये सफर चंद रुपयों में पूरा कर सकते थे, फिर भी इन्होंने जनता की गाढ़ी कमाई हवा में उड़ा दी। तर्क दिया गया कि भारी ट्रैफिक से बचने और वक्त बचाने के लिए हेलीकाप्टर का इस्तेमाल किया गया। वक्त होता भी कैसे आंतरिक सुरक्षा का दारोमदार जो हैं इनके कंधों पर।
राज ठाकरे भी कहते कुछ और करते कुछ और ही हैं। यूं तो ये मराठी के हितैषी और उत्तर भारतीयों को खदेड़ने के लिए जाने जाते हैं। पर हकीकत कुछ और ही है। ये दूसरों को नसीहत देते हैं कि मुंबई में रहना है तो मराठी सीखों। और खुद घर में अंग्रेजी में बात करते हैं।
इन्होंने अपने कुत्तों का नाम अंग्रेजी में रखा है और इसी नाम से इन्हें बुलाते भी है। खुद इनका ही बेटा मराठी के बजाए विदेशी भाषा पढ़ रहा है। जिन उत्तर भारतीयों को ये आए दिन मुंबई से खदेड़ते हैं, मुसीबत में वहीं हिंदी भाषी इनके काम आते हैं। इनको जमानत हिंदी भाषी ने ही दिलाई है।
ये जो भी नौटंकी कर रह हैं, वह सिर्फ वोट बढ़ाने के लिए। भले ही ये मराठियों का हितैषी होने का दम भरते हो पर हकीकत कुछ और ही है।
जब इस तरह के नेता अवाम के हितैषी होंगे तो क्या होगा इस देश का..?
Friday, October 24, 2008
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4 comments:
सचिन जी बिलकुल सही कहा आप ने, यह नेता नही गुण्डे है.इन के बाओ ने शायद गधे की सवारी भि ना कि हो.
धन्यवाद
अमीरों की तो बात ही निराली है | बहुत से माननीयों पर काफी सरकारी उधार भी बकाया है परन्तु कभी सरकार ने उफ तक नहीं की चाहे किसी की सरकार हो |
सिचन जी,
राजनीित और नेताओं की मनोवृित्त सुधर जाए तो िफर देश का कल्याण है । बहुत अच्छा िलखा है आपने ।
http://www.ashokvichar.blogspot.com
सही कहा..इनकी बात करना भी फिजूल है.
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
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