Sunday, October 19, 2008

राज : ये कैसे काज?

इस बार गलती हुई सो हुई ! रेलवे को भविष्य में भर्ती करते समय सिर्फ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के समर्थकों के बारे में विचार करना चाहिए!! पूरे देश में चाहे वह सरकारी हो या निजी नौकरी सिर्फ राज के समर्थकों को ही मिलनी चाहिए!!! प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का पद भी उनके लिए ही आरक्षित कर देना चाहिए!!!!

तभी हो सकता है कि उत्तर भारतीय इनके कोपभाजन से बच सकें। अन्यथा ये यूं ही उन पर कहर बरपाते रहेंगे। कितने शर्म की बात है कि हम अपने ही देश में कहीं जा नहीं सकतें, नौकरी नहीं कर सकते। फिर संविधान में लोगों को देश में कहीं भी रहने और नौकरी करने के मिले अधिकार का क्या फायदा।

राज शायद यह भूल रहे हैं कि रेलवे उनकी बपौती नहींहै। रेल देश की संपत्ति है और इस पर सभी का हक है। चाहे वह जिस राज्य का हो। अगर ये लोग इतने ही इंटेलिजेंट हैं तो परीक्षा में बैठकर सामना करने से क्यों डरते हैं? ये ओपन एग्जाम है, जिसमें दम है वही जॉब लेगा। गुंडागर्दी के बल पर क्या नौकरी मिल जाएगी?

और इस पंगु सरकार चाहे वह महाराष्ट्र की हो या केंद्र की या फिर अन्य सियासी दल, इनसे कोई उम्मीद करना बेकार है। ये इस मामले में इसलिए हस्तक्षेप नहीं करेंगे। क्योंकि चुनाव सिर पर हैं, कहीं वोट पर असर न पड़ जाए। वर्ना राज जैसे छुटभैया नेता की क्या बिसात थी कि वह अपनी ओछी राजनीति चमकाता।

क्या महाराष्ट्र की जनता यह नहींजानती कि राज उनके हितैषी होने का दम भर रहे हैं या अपना वोट बैंक मजबूत कर रहे हैं? मुंबई में राज की मनमानी क्यों चल रह है?

8 comments:

jitendra said...

कुत्‍तों का अपना इलाका होता है और वे वही तक भौंकते है अब पता नही ये गुण शायद इंसानों में भी पाया जाता होगा

P.N. Subramanian said...

इस घटना की जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है. भाई साहब ये तो साँप चूछूंदर का खेल है. फिलहाल राज पर कोई आँच नहीं आवेगी. आपने ठीक ही कहा, चुनाव सर पर है इसी लिए दादागिरी चल रही है.
http://mallar.wordpress.com

Arvind Mishra said...

यह तो हद है अगर ऐसी ही घटिया हरकतें गैरमराठी लोग राजठाकरे और गुंडों के लिए शुरू कार्ड तो क्या होगा ? क्या मुम्बई राज ठाकरे और उनके बाप की है ? ये दोनों देश द्रोही हैं -इन्हे तत्काल जेल में डाला जाय नहीं तो महारष्ट्र के लिए अपशकुन शुरू हो जायेगा -राज ठाकरे आज मुम्बई के लिए एक कलंक बन गया है .

Gyan Darpan said...

राज ठाकरे तो इंडियन मुजाहिदीन से भी गया गुजरा है यदि उसकी प्रतिक्रिया में अन्यो राज्यों के लोग ने भी मराठियों के यही सलूक करना शुरू दिया तब राज ठाकरे क्या करेगा ? यह देश का दुर्भाग्य ही है कि ऐसे लोग खुलेआम कुछ भी कर सकते है और सरकार मुंह बाये देखती रहती है

राज भाटिय़ा said...

हमारी ईमानदार सरकार ओर त्याग की गोरी देवी कहां है, अब दिखाये त्याग??????नोटकीं बाज कही कै, देश का सत्या नाश करने पर तुले है सब

seema gupta said...

"oh height of meaness..."

Regards

सोनाली सिंह said...

दरअसल ठाकरे की राजनीतिक महत्वाकांक्षा सनक में बदल गई है। याद रहे - यह मुम्बई हमारी भी है, हमारे पूरे देशवासियों की है|

Anil Pusadkar said...

सही कहा सचिन जी।सहमत हूं आपसे।